Category: Spiritual

Gayatri Maha Vigyan – 2

शास्त्र का कथन हैं कि- ‘संदिग्धो हि हतो मन्त्र व्यग्रचित्ती हतो जपः’ सन्देह करने से मंत्र हत हो जाता है, और व्यग्रचित्त से किया हुआ जप निष्फल रहता है, संदिग्ध, व्यग्र, अश्रद्धालु और अस्थिर {…}

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Dev Deepawali 2022

हर हिन्दू वर्ष में दीपावली 3 बार आती है, सबसे पहले पितृपक्ष की अमावस्या के दिन पितृ दीपावली, उसके बाद कार्तिक अमावस्या के दिन मानवीय दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली। पितृ {…}

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श्री महालक्ष्मी व्रत 2022

श्री महालक्ष्मी व्रत अश्विन शुक्ल अष्टमी के दिन शास्त्रोक्त माना जाता है, इस वर्ष यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी 4 सितम्बर 2022 से अश्विन कृष्ण अष्टमी 18 सितम्बर 2022 तक मन गया है। भाद्रपद {…}

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पितृपक्ष श्राद्ध 2022 : 11 से 25 सितम्बर

पितृपक्ष श्राद्ध 2022 आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावास्या ; 11 सितम्बर 2022 से 25 सितम्बर 2022 तक- आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिन ‘पितृपक्ष’ के नाम से विख्यात हैं। इन पंद्रह दिनों {…}

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निर्विध्न सफलता देते हैं, सिद्धि विनायक।

सिद्धिविनायक व्रत श्री गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 गणेशजी हर कार्य में प्रथम पूज्य हैं अनादिकाल से ही गणेशजी की पूजा होती आई है। भगवान शिव और पार्वती की विवाह की रीति में शिव {…}

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2022 – व्रत एवं कथा

भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रात के बारह बजे मथुरा नगरी के कारागार में वसुदेव जी की पत्नी देवकी के गर्भ से षोडश कला सम्पन्न भगवान् श्रीकृष्ण का अवतार हुआ था। इस व्रत में सप्तमी {…}

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वट-सावित्री व्रत महत्व, पूजा व कथा

वट-सावित्री व्रत तिथि 30 मई 2022 (ज्येष्ठ कृष्ण अमावास्या), दिन सोमवार को बट सावित्री व्रत इस वर्ष है, इस व्रत में सुहागन स्त्रीयाँ सोलह सिंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट {…}

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शुभ चिन्ह स्वास्तिक

सनातन संकृति में प्रत्येक पूजा के समय सर्वप्रथम लाल रोली से शुभ चिन्ह स्वास्तिक बनाया जाता है। आपने स्वास्तिक चिन्ह के प्रयोग को अनेकों बार देखा होगा। इसके बारे में जानने की उत्सुकता भी {…}

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नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि पर्व वर्ष में दो बार आता है। 1. चैत्र शुक्ल 1 से 9 तक तथा 2. आश्विन शुक्ल 1 से 9 तक। चैत्र नवरात्र के दिन से ही नया विक्रमी संवत आरम्भ होता {…}

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कर्मफल – The Karma Theory (hope perspective)

जिस उद्देश्य को लेकर कर्म किया जाता है, उसका पूर्ण होना कर्म साफल्य और अपूर्ण रहना कर्म वैफल्य है। कर्म साफल्य अभीष्ट होता है, कर्म वैफल्य अनभीष्ट। कर्म साफल्य की दशा में हम प्रसन्न {…}

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