हरितालिका तीज विशेष…

हरितालिका तीज विशेष…

इसी दिन है ‘हरितालिका तीज’ व्रत, जानिए राहुकाल का समय

21 अगस्त 2020 शुक्रवार का दिन विक्रम संवत 2077, शक संवत 1942 के प्रमादी नामक संवत्सर के अंतर्गत आ रहा है। सूर्य दक्षिणायन है और वर्षा ऋ तु चल रही है। इस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। इस दिन सुहागिन महिलाएं हरितालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस दिन तृतीया तिथि रात्रि 11.02 बजे तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। इस दिन सूर्य सिंह राशि में और चंद्र कन्या राशि में रहेगा। सूर्य का नक्षत्र मघा है और चंद्र का नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी।

21 अगस्त को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रात्रि 9.27 बजे तक रहेगा। उसके बाद हस्त नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला सिद्ध योग बन रहा है, जो दोपहर 1.59 बजे तक रहेगा। उसके बाद साध्य योग प्रारंभ होगा। सिद्ध और साध्य दोनों ही योग शुभ कार्य, देव पूजा, प्राण-प्रतिष्ठा के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। इस तैतुल करण दोपहर 12.37 बजे तक रहेगा। इस दिन सूर्योदय प्रात: 6.06 बजे होगा और सूर्यास्त सायं 6.52 बजे होगा।

वर्जित समय :
राहू काल प्रात: 10.54 से 12.30 तक रहेगा। इस समय में कोई भी कार्य करना वर्जित रहता है।
यम घंटा दोपहर 3.41 से सायं 5.17 तक रहेगा। शुभ कार्यों में यम घंटा को वर्जित माना गया है।

चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त
चर प्रात: 6.07 से 7.42 तक
लाभ प्रात: 7.42 से 9.18 तक
अमृत प्रात: 9.18 से 10.54 तक
शुभ दोपहर 12.30 से 2.05 तक
चर सायं 5.17 से 6.52 तक
लाभ रात्रि 9.41 से 11.05 तक
अभिजीत मूहूर्त दोपहर 12.04 से 12.55 तक, अवधि 51 मिनट रहेगी, जो सभी कार्यों के लिए सिद्ध समय होता है।

21 अगस्त की ग्रह स्थिति
सूर्य- सिंह, चंद्र- कन्या, मंगल- मेष, बुध- सिंह, बृहस्पति- धनु, शुक्र- मिथुन, शनि- मकर, राहू- मिथुन, केतु- धनु।

विशेष : हरितालिका तीज व्रत
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरितालिका तीज व्रत किया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं इस व्रत को भविष्य में अच्छे और गुणी पति की प्राप्ति के लिए करती हैं। हिंदू धर्म में शिव-पार्वती के अटूट प्रेम को आधार बनाकर अनेक व्रतों और त्योहारों की परंपरा बनी है। माना जाता है कि माता पार्वती और शिव अपनी पूजा करने वाली सभी सुहागिन महिलाओं को अटल सुहाग का वरदान देते हैं। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि स्वयं पार्वती ने एक जन्म में शिव को अपने पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया और वरदान में उनसे उन्हें ही मांग लिया। इसी व्रत को हरितालिका तीज व्रत के नाम से जाना जाता है। कई स्थानों पर इसे बड़ी तीज भी कहते हैं। वैसे तो पूरे भारत में सभी सुहागिनें इस व्रत को बड़े उत्साह से करती हैं, लेकिन विशेष रूप से मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान में हरितालिका तीज को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

गौरी-लक्ष्मी शुभ संयोग
21 अगस्त को शुक्रवार होना मां लक्ष्मी की कृपा पाने का भी अद्भुत दिन है। इस दिन सिद्ध योग और हरितालिका तीज होने के कारण महत्व बढ़ गया है। शुक्रवार और हरितालिका तीज का संयोग और सिद्ध योग होने के कारण गौरी-लक्ष्मी संयोग बना है। जो धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी को लाल कमल के पुष्प और मखाने की खीर का नैवेद्य अवश्य लगाना चाहिए।

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