तंत्र साधना में दीपावली की रात्रि को कालरात्रि भी कहा जाता है। तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए कालरात्रि का समय विशेष सिद्धिदायक होता है, इस दिन साधना हेतु मुहूर्त के लिए पहली शर्त यह है की महालक्ष्मी साधना के समय सूर्य और चंद्रमा दोनो का ही शुक्र का तुला राशि में होना आवश्यक है। इस वर्ष 24 अक्तूबर की रात्रि सूर्य तो तुला राशि में पहले से ही है, परंतु चंद्रमा तुला राशि में रात्रि 02: 15 के बाद प्रवेश करेंगे। इस प्रकार मध्य रात्रि 02:15 के बाद सूर्य और चंद्रमा दोनो ही ग्रह शुक्र की तुला राशि में भ्रमण कर रहे होंगे।
‘मुहूर्त चिन्तामणि’ तथा ज्योतिष के अनेक ग्रंथों में इस रात्रि का महत्व इस प्रकार से मिलता है- ‘दीपावली की रात्रि को महानिषा काल में (आधी रात्रि के बाद जो दो मुहूर्त का समय होता है), उसी को महानिशा काल कहते हैं। उस महानिशा काल में विशेष मंत्रों की साधना, तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना जप-तप आदि करने से अक्ष्य लक्ष्मी की र्प्रािप्त होती है। इस मुहूर्त के समय में सूर्य तथा चंद्रमा दोनो तुला राशि में होनेे चाहिएं। क्योकि तुला राशि के स्वामी शुक्र ग्रह को धन-धान्य तथा एैश्वर्य का प्रतीक ग्रह माना गया है।
सूर्य और चंद्रमा दोनो ही इस वर्ष 24 अक्तूबर 2022 की मध्य रात्रि 02: 15 के बाद तुला राशि में भ्रमण कर रहे होंगे। मुहूर्त की दूसरी शर्त सिंह लग्न है, सिंह अर्थात स्थिर लग्न होना भी आवश्यक है। सिंह लग्न जो 24-25 अक्तूबर की मध्य रात्रि 1: 20 से आरम्भ होकर 3: 39 तक रहेगी। इस समय में शुभ की चौघड़िया 01:49 से 03: 26 तक तथा अमृत का चौघडिया 03: 26 से 05:04 तक, दोनो ही शुभ हैं, और इसके उपरांत चर का चौघडिया भी शुभ है, जो कि 05: 04 से आरम्भ होकर 06: 42 तक रहेगा।
इस लिये- महालक्ष्मी मंत्र या कोई भी तांत्रिक साधना अथवा अपने इष्ट देव की साधना आरम्भ करने का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 02:15 के बाद से आरम्भ होकर 03: 39 के मध्य होगा। इसी समय साधक अपनी साधना आरम्भ कर सकते हैं, आरम्भ करने के बाद सूर्योदय तक का समय विशेष और सिद्धियां देने वाला होगा। इस वर्ष 25 अक्तूबर 2022 के दिन दोपहर 2 बजे से सूर्य ग्रहण आरम्भ होगा, जिसका सूतक 24 अक्तूबर की रात्रि 2 बजे से आरम्भ हो जायेगा, अतः तंत्र साधक रात्रि 2 बजे के बाद स्नानादि करके ही आसन पर बैठें।
इस पूजन में तंत्र साधक सर्वप्रथम न्यासादि करके अष्टोपचार या षोडोषोपचार पूजन, गणपति सहित माता महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए करें, और फिर जिस मंत्र या यंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं, उस से सम्बंधित साधना आरम्भ कर सकते हैं। आप माता महालक्ष्मी का यह मंत्र भी सिद्ध कर सकते हैं-
ऊँ श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हृीं श्रीं ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।
इस मंत्र का जप कमलबीज की माला से किया जाता है। इस साधना के लिए 11000 मंत्र जप करना आवश्यक है।
मैं स्वयं भी इसी सिद्ध मुहूर्त में हर वर्ष अपने परिजनों के लिये तथा अपने प्रिय शिष्यों के लिए कुछ यंत्र सिद्ध किया करता हूं। इस दिन सिद्ध किये जाने वाले यंत्रों की शक्ति एक वर्ष तक बनी रहती है। मेरे द्वारा सिद्ध किये जाने वाले यंत्रों की संख्या बहुत ही सीमित होती है। क्योंकि मुहूर्त का समय बहुत सीमित होता है।