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Gayatri Maha Vigyan – 2

शास्त्र का कथन हैं कि- ‘संदिग्धो हि हतो मन्त्र व्यग्रचित्ती हतो जपः’ सन्देह करने से मंत्र हत हो जाता है, और व्यग्रचित्त से किया हुआ जप निष्फल रहता है, संदिग्ध, व्यग्र, अश्रद्धालु और अस्थिर {…}

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