दीपावली लक्ष्मी साधना के लिये सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। वैसे तो सभी प्रकार की पूजा-साधना के लिये दीवाली की रात्रि, नवरात्रि, शिवरात्रि, सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण एवं गुरू/रवि पुष्य योग श्रेष्ठ समय माना गया है, परंतु दीपावली की रात्रि में महालक्ष्मी साधना पूजा विशेष फलदायी होती है इसी लिये इस अमावस की रात्रि महालक्ष्मी पूजा साधना अवश्य करना चाहिये। जिससे धनागमन सदा बना रहे और जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति सुचारू ढंग से होती रहे और हम अपना जीवन सुख पूर्वक व्यतीत कर सकें।
(1) निम्नलिखित मंत्र लक्ष्मी प्राप्ति के लिये अमोध मंत्र बताया गया है। ऐसा उल्लेख मंत्र महोदधि ग्रन्थ में किया गया है। यह जेष्ठा लक्ष्मीजी का मंत्र है। मंत्र:- ‘ऐं हृीं श्रीं जेष्ठा लक्ष्मी स्वयं भुवे हृीं जेष्ठायै नमः’।
विधि:- स्वर्ण, रजत, या फिर स्फटिक का श्रीयंत्र स्थापित कर इस मंत्र का एक लाख जप करें, और दशांश हवन करें। इसे धन त्रयोदशी से प्रारम्भ कर दीपावली के दिन इसका समापन किया जा सकता है। या फिर दीपावली के दिन से प्रारम्भ कर इसे आगे पूर्ण किया जाता है। इसके बाद इस मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपते रहें।
(2) धन, व्यवसाय सहित सभी आर्थिक लाभ देने में यह दूसरा मंत्र भी अत्यंत कारगर है। इसको सवा लाख जप करके या कराके सिद्ध किया जाता है। इस के लिये आगे दिये गये शुभ मुहूर्तों में से किसी का भी उपयोग कर सकते हैैं। सिद्ध हो जाने पर इस मंत्र की एक माला अपनी दैनिक पूजा के समय जपते रहें मंत्र:- ऊँ क्लीं हृीं श्रीं ऐं क्लीं सौः।
(3) इस वर्ष श्री महालक्ष्मी पूजन, दीपदान के लिये प्रदोषकाल से आधी रात तक रहने वाली अमावस श्रेष्ठ होगी। यदि अर्धरात्रि काल में अमावस तिथि का आभाव हो, तो प्रदोषकाल में ही दीप प्रज्वलन, महालक्ष्मी पूजन, श्रीगणेश एवं कुबेर आदि पूजन करने का विधान है। इस वर्ष अमावस समाप्ति काल 04-05 नवम्बर 2021 मध्यरात्रि 02ः45 पर हो रही है।
प्रदोषे दीपदान, लक्ष्मी पूजनादि विहितम्।
कार्तिक कृष्ण पक्षे च प्रदोषे भूतदर्शर्योः,
नरः प्रदोष समये दीपदान् दद्यात् मनोरमान्।।
इस वर्ष 2021 ई. कार्तिक अमावस 4 नवम्बर, गुरूवार को प्रदोष व्यापिनी तथा रात्रि 02ः45 तक निशीथ व्यापिनी होने से दीपावली पर्व इसी दिन विशेष शुभ होगी। 2021 की यह दीपावली स्वाती नक्षत्र आयुष्मान योग एवं तुला राशि के सूर्य तथा चन्द्रमा के समय होगी। सांय सूर्यास्त (प्रदोषकाल प्रारम्भ) के बाद वृष तथा मिथुन लग्न एवं स्वाती नक्षत्र विद्यमान होने से यह समयावधि में श्रीगणेश, महालक्ष्मी पूजन आदि आरम्भ करने से विशेष रूप से शुभ रहेगी। बही खातों एवं नवीन शुभ कार्यों के लिये भी यह मुहूर्त अत्यंत शुभ होगा। इस वर्ष गुरूवार की दीपावली व्यापारियों, क्रय-विक्रय करने वालों के लिये विशेष रूप से शुभ मानी जायेगी।
लक्ष्मीपूजन, दीपदान के लिये प्रदोषकाल ही विशेषतया प्रशस्त माना गया है-
कार्तिके प्रदोषे तु विशेषण अमावस्या निशावर्धके।
तस्यां सम्पूज्येत् देवी भोगमोक्ष प्रदायिनीम्।।
दीपावली के दिन घर में प्रदोषकाल से महालक्ष्मी पूजन प्रारम्भ करके अर्धरात्रि तक जप अनुष्ठानादि करने का विशेष महात्मय होता है। प्रदोषकाल से कुछ समय पहले स्नानादि उपरांत धर्मस्थल पर मंत्रपूर्वक दीपदान करके अपने निवास स्थान पर श्रीगणेश सहित महालक्ष्मी, कुबेर पूजनादि करके अल्पाहार करना चाहिये। तदुपरांत यथोपलब्ध निशीथादि शुभ मुहूर्त में मंत्र-जप, यंत्र-सिद्धि आदि अनुष्ठान सम्पादित करने चाहियें। दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का महोत्सव है, जिसका आरम्भ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) से लेकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भाई-दूज) तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की भरपूर प्राप्ति के लिये धन की अधिष्ठात्री भगवती लक्ष्मी का समारोह पूर्वक आवाहन, षोडशोपचार सहित पूजन किया जाता है। आगे दिये गये निर्दिष्ट शुभ मुहूर्तों में किसी पवित्र स्थान पर आटा, हल्दी, अक्षत एवं पुष्पादि से अष्टदल कमल बनाकर श्रीमहालक्ष्मी का आवाहन एवं स्थापन करके देवों की विधिवत् पूजा अर्चना करनी चाहिये।
आवाहन का मंत्र-
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलंती तृप्तां तर्पयंतीम।
पùेस्थितां पùवर्णां तामिहोप हव्ये श्रियम्। (श्रीसूक्तम्)।
पूजा मंत्र-
ऊँ गं गणपतये नमः।। लक्ष्म्यै नमः।। नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात्।। से लक्ष्मी की, एरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः। शतयज्ञाधिपो देवस्तस्मा इन्द्राय ते नमः।
अग्रलिखित मंत्र से इन्द्र की और कुबेर की निम्न मंत्र से पूजा करें- कुबेराय नमःए धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपùाधिपाय च। भवन्तु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पदः।।
पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल पुष्पादि, धूप, दीपादि सुगंधित वस्तुयें सम्मलित करनी चाहियें। दीपावली पूजन में प्रदोष, निशीथ एवं महानिशीथ काल के अतिरिक्त चौघड़िया मुहूर्त भी पूजन, बही-खाता पूजन, कुबेर पूजा, जपादि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष प्रशस्त एवं शुभ माने जाते हैं।
प्रदोषकाल-
4 नवम्बर 2021 को दिल्ली एवं निकटवर्ती नगरों में सूर्यास्त 17:20 से 02 घ. 41 मि. बाद तक अर्थात 20:00 तक प्रदोषकाल रहेगा। सांय 18:09 तक मेष (चर) लग्न तथा सांय 18:09 से 20:04 तक वृष (स्थिर) लग्न विशेष रहेगा। प्रदोषकाल में वृष लग्न स्वाती नक्षत्र तक तथा तुला का चन्द्रमा होने से महालक्ष्मी पूजानादि के लिये शुभ समय होगा। प्रदोषकाल में ही 19:12 तक अमुत तथा 20:04 तक चर की चौघड़ियां रहने से इस योग में दीपदान, महालक्ष्मी, गणेश-कुबेर पूजन, बही-खाता पूजन, धर्मस्थल एवं घर पर दीप प्रज्वलित करना, ब्राह्मणों तथा आश्रितों को भेंट, मिठाई बांटना शुभ होगा।
शुभ चौघडिया- चर, लाभ, अमृत और शुभ की चौघड़िया में ही महालक्ष्मी पूजन होनी चाहिये।
निशीथ काल- 4 नवम्बर 2021 को दिल्ली व समीपस्थ नगरों में निशीथकाल रात्रि 20:00 से 22:39 तक रहेगा। इसी निशीथकाल में 18:09 से 20:04 तक (20:00 से 20:04 केवल 4 मिनट तक) वृष ‘‘स्थिर’’ लग्न रहेगा, तथा 20:04 से 22:18 तक मिथुन ‘‘द्विस्वभाव’’ लग्न होगा, (मिथुन लग्न की इस अवधि चर की चौघडिया केवल 20:52 तक ही रहेगी, अर्थात केवल 20:00 से 20:52 तक ही पूजन मुहूर्त प्रशस्थ रहेगा। इस अवधि में महालक्ष्मी पूजन तथा पूजनोपरांत श्रीसूक्त, कनकधारा स्त्रोत्र तथा लक्ष्मी स्त्रोत्रादि का पाठ करना चाहिये।
महानिशीथ काल- रात्रि 22:38 से 25:18 तक महानिशीथ काल रहेगा। इस अवधि में 24:38 से 25:45 तक सिंह लग्न विशेष शुभ रहेगा। इस समयावधि में 24:00 से 25:40 तक लाभ की चौघडिया भी शुभ रहेगी। इस लिये महानिशीथ काल, सिंह लग्न तथा लाभ की चौघडिया- स्टै. टा. 24:38 से 25:18 तक की अतिशुभ मुहूर्त अवधि में श्री गणेश-लक्ष्मी पूजन अवश्य कर लेना चाहिये। महानिशीथ काल में श्री महालक्ष्मी, काली उपासना, यंत्र मंत्र तंत्रादि की क्रियायें व काम्य प्रयोग, तंत्रानुष्ठान, साधनायें एवं यज्ञादि भी किये जाते हैं।
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