मंत्रमहाणर्व के शाबर प्रयोग
साबर मंत्रों के माध्यम से सर्व कामनाओं को सिद्ध करने के उद्देश्य से सर्वसाधारण का कल्याण प्राचीनकाल से साधित होता रहा है। जहां ग्रामीण क्षेत्रों में ओझा लोग अपने ईष्ट की सिद्ध तथा अभिचार कर्म से पीडित लोगों की पीड़ा को साबर मंत्र से दूर करते रहे हैं वहीं अनेक परिवारों के वृद्धजन भी इन मंत्रों की अच्छी जानकारी होने के कारण अपने परिवार तथा सम्पर्क में आने वाले पीड़ित जन की सेवा आज भी निस्वार्थ भाव से करते हैं। साबर मंत्र से अनेक जटिल रोगों की चिकित्सा भी प्राचीनकाल से की जाती रही है और उनका प्रभाव भी चमत्कारी डंग से असर करता है। आईये इस लेख के माध्यम से आपको कुछ ऐसे रोग निवारक साबर मंत्रों की जानकारी दी जाये इन में से अधिकांश साबर मंत्र स्वयं-सिद्ध होते हैं इन मंत्रों को हमारे ऋषियों ने जनकल्याण के उद्देश्य से कीलित नहीं किया, इन स्वयंसिद्ध मंत्रों को बिना सिद्ध किये ही कोई भी साधक या फिर स्वयं रोगी भी श्रद्धा और विश्वास से निःसंकोच प्रयोग करके रोग से मुक्त हो सकता है।
वशीकरण प्रयोग-
ऊँ आदेश गुरु को। कामरू देश, कामाक्षा देवी। तहां बैठे इसमाइल जोगी। इसमाइल जोगी के अंग में फूल किवाडी, फूल चुन लावै लोना चमारिन। फूल चल, फूल बिगसे। फूल पर बीर पर सिंह बसे, जो नहीं फूल का विष। कबहु न छोड़े मेरी आस। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। फुरो मंत्र, ईश्वरोवाच।
विधि- उपयुग्क्त मंत्र किसी फूल पर पढ़कर किसी को दे, तो वह वशीभूत होता है।
गर्भ स्तम्भन प्रयोग
1 ऊँ वज्र योेगिनी वज्र-किवाड़ बजरी बांधू दसूं दुवार। झाड़े झड़ै न लिंगी करै, तो वज्र-योगिनी का वाचा फुर्र।
2 ऊँ नमो आदेश गुरु की। चार घाटी, चार वटी। रक्त चुवै चौरासी घाटी। रक्त चुवै भील धीर थांम-थाम। हनुमन्त वीर, लंका-सा कोट, समुन्दर-सी खाई इस वारी के रक्त चुवै, तो सोषिया वरी की दुहाई लोना चमारिन की दुहाई। अजैपाल जोगी को दोहराई।
विधि- किसी कुमारी कन्या द्वारा काता हुआ ढाई पिण्डी सूत लेकर, उसका डोरा बनावे फिर उक्त मंत्र पढ़कर डोरे को 7 बार गांठ देकर, गर्भवती स्त्री की कमर में बांधे। गर्भपात रुक जाता है।
अनावृष्टि प्रयोग
ऊँ काली काली स्वाहा।
विधि- पीपल की लकड़ी एवं घृत द्वारा उक्त मंत्र से 1000 बार हवन करने से वृष्टि होती है।
बिक्री-वर्धक प्रयोग
भंवर वीर तू चेला मेरा। खोल दुकान, कहा कर मेरा। उठ जो उण्डी बिकै। जो माल भंवर वीर सोखे नहि जाए।
विधि- तीन रविवार को काली उड़द हाथ में लेकर उक्त मंत्र 21 बार पढ़कर दुकान में डाल दें। बिक्री में आशा से अधिक वृद्धि होगी।
भूत-प्रेत बाधा निवारक प्रयोग
(1) ऊँ नमो भगवते नारसिंहाय घोर-रौद्र-महिषासुर-रूपाय, त्रैलोक्य-आडम्बराय, रौद्र-क्षेत्रपालाय, ह्रों-ह्रों क्रीं-क्रीं क्रीमिति, ताडय ताडय-ताडय, मोहय-मोहय, द्रम्भि-द्रम्भि, क्षोभय-क्षोभय, आभि-आभि, साधय-साध, ह्रीं हृदये, आं शक्तये, प्रीति-ललाटे बन्धय-बन्ध्यय, ह्रों हृदये स्तम्भय-स्तम्भय, किलि-किलि हूं, ह्रीं डाकिनी प्रच्छादय-प्रच्छादय, शाकिनीं प्रच्छदाय-प्रच्छादय, भूतं प्रच्छादय-प्रच्छादय, प्रभूतं प्रच्छादय-प्रच्छादय स्वाहा। राक्षसं प्रच्छादय-प्रच्छादय, ब्रह्म-राक्षसं प्रच्छादय-प्रच्छाय, सिंहनी-पुत्रं प्रच्छादय-प्रच्छादय, डाकिनी-ग्रहं साधय-साधय, शाकिनी-ग्रह साधय-साधय। अनेन मंत्रेण डाकिनी-शाकिनी-भूत-प्रेत-पिशाचाद्येकाहिकद्वयाहिक-त्रयाहिक-चातुर्थिक-पंच- वातिक-पैत्तिक-श्लेष्मिक-सन्निपात-केसार-डाकिनी ग्रहादीन् मुचं-मुचं स्वाहा। गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति। फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
विधि- लोहे की सलाई अथवा छप्पर की तीली से 21 बार उक्त मंत्र पढ़कर झारने से सभी प्रकार की भूत बाधा, उन्मादादि दूर होता है।
(2) ऊँ काला-भैरो, कपिली जटा। रात-दिन खेलै, चौपटा। काला भैरूं, मुसाण। जेहि मांगू, सो पकड़ी आन। डाकिनी। शंखिनी परसहिारी, जराव चढ़न्ती गोरखमारी। छोड़ि-छोड़ि रे पापिणी, बालक पराया। गोरखनाथ का परवाना आया।
विधि- उपयुक्त मंत्र से अभिमंत्रित जल को बालक को पिलाने से बालक सभी डाकिनी-बाधाओं से मुक्त हो जाता है।
(3) ऊँ नमो आदेश गुरु को डाकिनी सिहारी किले मारी, जती हनुमन्त ने। मारो कहां जाए, दबकी किन देखो, जती हनुमनत ने देखी, मारो कहां जाए, दबकी किन देखी, जती हनुमन्त ने देखी, सातवें पातल र्गइं। सातवें पाताल सूं कौन पकड़ लाया, जती हनुमन्त पकड़ लाया। एक ताल दे, एक कोठा तोड़या। दो ताल दे, दो कोठा तोड़या। चार ताल दे, चार कोठा तोड़या। पांच ताल दे, पांच कोठा तोड़या। ठः ताल दे, छः कोठा तोड़या। सात ताल दे, सातवीं कोठी खोल देखै, तो कौन खड़ी छै?डाकिनी-सिहारी, भूत-प्रेत चलै, जती हनुमन्त सेरे झाड़ै सुं चलै। ऊँ नमो आदेश गुरु को। गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति। फुरो मंत्र, ईश्वरो वाचा।
विधि- मोर पंख अथवा लोहे की सलाई से झाड़ने के से सभी प्रकार के उपद्रव दूर हो जाते हैं।
(4) ऊँ नमो सत्य नाम आदेश गुरु को। ऊँ नमो नजर, जहां पर-पीर न जानी। बोलै छल सों अमृत-वाणी। कही नजर, कहां ते आई?यहां की ठौर, तेहि कौन बताई?कौन जात तेरी?कहां ठाम?किसकी बेटी?कहां तेरो नाम?कहां से उड़ी?कहां की जाया?अब ही बस कर ले, तेरी माया। मेरी जात, सुनो चित्त लाए। जैसी होए, सुनाऊं आए। तेलन, तमोलन, चूहड़ी, चमारी, कायथनी, खतरानी, कुम्हारी, महतरानी, राजा की रानी, जाको दोष ताही के सिर पड़ै। जाहर पीर न जर, सो रक्षा करै। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति। फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा।
विधि- मोर पंख से उक्त मंत्र को पढ़कर झारने से लाभ होता है।
(5) ऊँ सीस राखै साइयां, श्रवण, सिरजनहार। नैन राखे नरहरि, नासा अपरग पार। मुख राखा माधवे, कण्ठ राखा करता। हृदये हरि रक्षा करे, नाभि त्रिभुवन सार। जंघा राखा जगदीश, करे पिण्डी पालन हार। सिर राखा गोविन्द, पगतली परम उदार। आगे राखे रामजी, पीछे रावण हार। वाम-दाहिणे राखिले, कर गृही करतार। जम डंक लागे नहीं, विघ्न काल ते दूर। राम रक्षा जन की करे। बाजे अनहद तूर। कलेजो राखे केसवो, जिभ्या कूं जगदीश। आतम कं अलख राखे, जीव को जोतिश। राख-राख सरनागति, जीव कूं एके बार। सन्तों की रक्षो करें, शिव गुरु गोरखनाथ सतगुरु सृजन हार।
विधि- उक्त मंत्र का नित्य 21 बार पाठ करने से सर्व प्रकार की रक्षा होती है।
उत्तम विवाह हेतु प्रयोग-
ऊँ गौरी आवे। शिवजी ब्यावे। अमुक (……………..) को विवाह तुरन्त सिद्ध करे। देर न करे। जो देर होए, तो शिव को त्रिशूल पड़े, गुरु गोरखनाथ की दुहाई फिरै।
विधि- शुभ दिन मिट्टी की एक नई हंडिया लाए। उसमें एक लाल वस्त्र, सात काली मिर्च एवं सात नमक को साबुत किंकणी रखें। हंडिया का मुंह कपड़े से बांध दें। हंडिया के बाहर कुंकुंम की सात बिन्दिया लगाए। फिर उक्त मंत्र का 5 माला जप करें। जप के काद हंडिया चौराहे पर रखवा दें। इससे विवाह की समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं और उत्तम विवाह होता है।
पेट का श्ूाल, आंव, खून बन्द करने का मंत्र-
सागरेर कूले, उपजिलो सूल ओर पीवी-पीवी पानी। (अमुकेर) धुचिलाम रक्त शूल छाड़ानि, धर्मेर आज्ञा।
विधि- जल पर आठ बार इस मंत्र को पढ़कर रोगी को पिलावे ‘अमुकेर’ की जगह रोगी का नाम ले।
कान का दर्द दूर करने का मंत्र-
आसमीन नगोर वन्ही कर्म न जायते, दोहाई महावीर की। जो रहे कान पीर। अंजनी-पुत्र कुमारी, वायु-पुत्र महाबल को मारी। ब्रह्मचारि हनुमन्तई नमो-नमो। दोहाई महावीर की, जो पीर मुण्ड की।
विधि- इस मंत्र को पढ़कर, कान तथा माथे पर फूंक मारे।
बाई झारने का मंत्र
ऊँ नमः धुक्षतनः जहिः जहि वांक्षतनः प्रकीर्णाङ्ग प्रस्तार-प्रस्तार मुंच-मुंच।
विधि- रविवार या मंगलवार को कपोत के पंख से झारे, तो बाई दूर हो।
कुत्ता काटे, उसका विष दूर करने का मंत्र
ऊँ हसन हंसानी, कुकुर पलानी। खाट में लोटे। बाट में भूंकै, आउ-आउ सिद्ध यती। शब्द सांचा, फुरो मंत्र, ईश्वरो वाचा।
विधि- यह मंत्र दिवाली की रात में या सूर्य अथवा चन्द्रग्र्रहण के समय, धूप सुलगा कर, केवल सात बार जपे, तो सिद्ध हो जाता है। फिर रविवार या मंगलवार के दिन कोरी सींक से झारे।
दांतो का दर्द दूर करने का मंत्र
दांतों के दर्द से कभी-कभी दिन को चैन, रात की नींद गायब हो जाती हैं। ऐसे समय जिन्हें निम्न मंत्र सिद्ध हो, वे दुखी व्यक्ति की पीड़ा शांत कर, पुण्य का अर्जन कर सकते हैं। मंत्र सीधा-सादा इस प्रकार है-
अग्नि बांधों। अग्नीश्वर बांधों। सौ खाल विकराल बांधौ। वज्र की निहाय। व्रज-धन दांत पिराय, तौ पिराय महादेव की आन।
विधि- ‘मंत्र’ का प्रयोग करने के पहले, दिवाली की रात में या फिर सूर्य अथवा चन्द्र-ग्रहण के समय, धूप सुलगाकर रात्रि भर अथवा ग्रहण-पर्यन्त ‘मंत्र’ का ‘जप’ कर सिद्ध कर लें।