शत्रुओं से सुरक्षा महाकाली साधना

शत्रुओं से सुरक्षा महाकाली साधना

यह कालिका शत्रु से सुरक्षा के लिये
‘‘आदि शक्ति जेहि जग उपजाया’’ ह बात पूर्णरूपेण सत्य है कि यह संसार आदि शक्ति जगदम्बा का बनाया या उपजाया हुआ है, और उसी आदिशाक्ति महामाया ने अनेकों रूपों में अवतार लिया है, परन्तु आदि-शक्ति के मुख्यतः तीन अवतार सर्वाधिक मान्य और पूज्य हैं। पहला सरस्वती, दूसरा लक्ष्मी और तीसरा महाकाली। इसके अतिरिक्त नवदुर्गा और कई अन्य अवतार भी माने जाते हैं। महाकाली को ही हम काली या कालिका आदि नामों से जानते हैं। महाशक्ति कालिका साधक के सभी प्रकार के भय को नष्ट करने वाली हैं। इनकी प्रार्थना में कहा जाता है –
या कालिका रोगहरा सुवन्धा, वश्यैः समस्तैर्व्यवहारदक्षैः।
जनैर्जनानां भयहारिणी च, सा देवमातामयी सौख्यदात्री।।
– अर्थात् जो कालिका समस्त प्रकार के रोगों का हरण करने वाली, समस्त जगत में वन्दनीय, विनम्र तथा दक्ष भक्तों के द्वारा पूज्यनीय और साधकों के भय को नष्ट करने वाली हैं, जो सभी सुखों को देने वाली और देवताओं की माँ हैं वह भगवती काली हमारी रक्षा करें।
– अर्थात् माँ कालिका अपने साधकों की हर प्रकार से सुरक्षा करती हैं वह अपने साधकों के सभी प्रकार के भय का हरण करती हैं। अपने साधकों के शत्रुओं को जड़ से विनाश करती हैं, तथा शत्रुओं से सभी प्रकार सुरक्षा दिलाती हैं। इतना ही नहीं माँ कालिका अपने साधकों को धन वैभव के साथ-साथ सभी प्रकार के सुख देती हैं।
– माँ कालिका का स्वरूप उग्र है, यह भयानक, दुष्ट संघारक और भक्त रक्षक हैं। माँ कालिका की पूजा अर्चना करने वाले की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। इनके सुमिरन मात्र से सभी प्रकार के शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है। कहा गया है कि, दक्षिण दिशा में रहने वाला अर्थात सूर्य का पुत्र यम भगवती काली (कालिका) का नाम सुनते ही डर कर भाग जाता है। काली के उपासकों को नरक लोक में ले जाने की सामर्थ्य यम में भी नहीं है। इस तरह स्पष्ट हो जाता है कि, इसके साधक का यम भी कुछ नहीं बिगाड सकते तो फिर सामान्य शत्रुओं की क्या बिसात्।
– बंगाल में कालीजी की पूजा के बड़े-बड़े समारोह आयोजित होते हैं। क्रान्तिकारी, योद्धा, पराक्रम और शक्ति के उपासक श्मशान और श्मशान यक्षिणी की साधना करने वाले सभी लोग माँ कालिका की पूजा में विशेष आस्था रखते हैं। क्योंकि माँ कालिका ओज, तेज, पराक्रम, निर्भयता और शक्ति प्रदान करने वाली हैं।
– माँ कालिका की पूजा के लिये कालिका की मूर्ति चित्र अथवा यंत्र की स्थापना करनी चाहिये। तत्पश्चात् धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करना चाहिये। इसके बाद निम्नलिखित मंत्र को पढ़ते हुये माँ कालिका का ध्यान करना चाहिये।
शवारूढ़ा महाभीमा घोर द्रष्टा हसन्मुखीम्।
चतुर्भुजा चण्ड-मुण्ड वरामयकरां शिवाम्।।
मुण्डमाला धरान्देवीं ललज्जिह्वां दिगम्बराम्।
एवं स´िचतयेत् कालीं श्मशालय वासिनीम्।।
– अब शान्तिचित्त और मन को स्थिर रखते हुये ‘‘ऊँ हृीं काली महाकाली किलि किलि फट् स्वाहा।’’ का एक माला जप करना चाहिये। यद्यपि इस जप को दैनिक जीवन में समाहित रखना चाहिये परन्तु यदि सम्भव न हो तो शत्रुदमन या कार्य की पूर्ति होने के पश्चात् सम्पन्न किया जा सकता है। यह कालिका माई का अमोघ मंत्र है।

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