दीपावली (श्रीमहालक्ष्मी पूजन) मुहूर्त
(24 अक्तूबर 2022 सोमवार)

दीपावली (श्रीमहालक्ष्मी पूजन) मुहूर्त
(24 अक्तूबर 2022 सोमवार)


इस वर्ष 24 अक्तूबर 2022 सोमवार को अमावस सांय लगभग 05 घं. 15 मिनट से आरम्भ हो रही है, तथा 25 अक्तूबर मंगलवार को यह अमावस्या सांय 4 बजे तक रहेगी। उसके पश्चात् प्रतिपदा आरम्भ हो जायेगी। दीपावली पर्व रात्रि प्रधान पर्व है, और पूजन के समय अमावस्या होनी चाहिये। इस वर्ष दीपावली 24 अक्तूबर 2022 सोमवार के दिन होगी, तथा महालक्ष्मी पूजा रात्रि में ही सम्पन्न होगी। अन्नकूट व गोवर्धन पूजा का पर्व 25 अक्तूबर को प्रशस्त होगा।
दीपावली के दिन प्रदोषकाल से लेकर मध्यरात्रि के बीच श्री महालक्ष्मी पूजन, दीपमाला, मंत्र-जप-अनुष्ठानादि, श्रीगणेश पूजन, कलश षोडशमातृका, ग्रह पूजन एवं भगवान श्रीविष्णु, भगवती लक्ष्मी सहित षोडशोपचार पूजन, कुबेर पूजन चतुर्मुखी दीप प्रज्जवलित करना, जप ध्यानादि करने का विशेष महत्त्व रहता है। दीपावली को रात्रि जागरण करते हुये श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्रीलक्ष्मीसूक्त, श्रीसूक्त, पुरूषसूक्त आदि एवं श्री रामरक्षास्तोत्र का पाठ करना प्रशस्त होता है। इस वर्ष दीपावली का पर्व 24 अक्तूबर सोमवार की अमावस एवं चित्रा नक्षत्र का योग है, सोमवार की दीवाली मंत्रजप, सिद्धि एवं तांत्रिक प्रयोगों के लिये विशेष रूप से सिद्धिदायी मानी जाती है। दीपावली की रात्रि में महालक्ष्मी पूजन के लिये स्थिर लग्न में पूजा साधना करने का विशेष महत्व है। दीपावली के दिन रात्रिकालीन लग्नों में केवल वृष तथा सिंह लग्न ही स्थिर लग्न रहती हैं।
इस वर्ष 24 अक्तूबर 2022 की रात्रि में वृष लग्न सांय 6ः45 से 7ः20 तक और सिंह लग्न मध्य रात्रि 02: 15 से 03ः40 तक का मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ है। वृष तथा सिंह लग्न के मध्य ही दीपवली पूजन करने से लक्ष्मीजी स्थिर रहती हैं अन्यथा लक्ष्मी जी अपने स्वाभावानुसार चंचल तो हैं ही। इस पूजा के मुहूर्त में ही मन्दिर में भी दीप प्रज्वलित करके, स्थिर लग्न के मध्य ही श्रीलक्ष्मी पूजन प्रारम्भ करें। इस मुहूर्त में दीपदान, श्रीमहालक्ष्मी पूजन व गणेश पूजन, कुबेर पूजन, बही-खाता पूजन, धर्म एवं गृह स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना, ब्राह्मणों तथा अपने आश्रितों को भेंट, मिष्ठान्नादि बांटना शुभ होता है। इस अवधि में श्रीमहालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी पूजन, कुबेरादि पूजन, श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त, पुरूषसूक्त तथा अन्य मंत्रों की साधना जपानुष्ठान करना सिद्धिप्रदायक होता है।

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