तिलक

तिलक

tilak

मस्तक पर तिलक –

सनातन संस्कृति के सिवा और कहीं भी मस्तक पर तिलक लगाने की प्रथा शायद ही कहीं और भी प्रचलित हो। यह सनातन हिन्दू संस्कृति अत्यंत प्राचीन है। माना जाता है कि मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास होता है, और तिलक ठीक इसी स्थान पर लगाया जाता है। तिलक लगाना देवी की आराधना से भी जुड़ा है।

किसी के माथे पर तिलक लगा देखकर मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि, आखिर तिलक लगाने से फायदा क्या है? क्या यह महज दूसरों के सामने दिखावे के मकसद से किया जाता है, या फिर तिलक धारण का कुछ वैज्ञानिक आधार भी है? दरअसल, तिलक या महिलाओं के मस्तक पर बिंदी लगाने के पीछे आध्यात्मिक भावना के साथ-साथ दूसरे तरह के लाभ की कामना भी होती है।

सनातन संस्कृति में जब भी कोई धार्मिक कार्य, शुभ काम, यात्रा किया जाना होता है, तब उसमे सिद्धि प्राप्त करने के लिए तिलक किया जाता है। मस्तक पर तिलक लगाकर इस कार्य की शुभ सिद्धि के लिए कामना की जाती है। देवी की पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।

तिलक के प्रकार-

आम तौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाने का विधान है। अगर कोई तिलक लगाने का लाभ तो लेना चाहता है, पर दूसरों को यह दिखाना नहीं चाहता, तो शास्त्रों में इसका भी उपाय बताया गया है। कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ललाट पर जल से तिलक लगा लेना चाहिए। इससे लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर कुछ लाभ बड़ी आसानी से मिल जाते हैं।

तिलक करने के लाभ –

तिलक करने से व्व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है। दरअसल, तिलक लगाने का मनुष्य के मन पर एक मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर वृद्धि होती है।

आज्ञाचक्र मैं तिलक-

आज्ञा चक्र (दोनों भ्रकुटीयों के मध्य) तिलक करने से आज्ञाचक्र को नियमित रुप से उत्तेजना मिलती रहती है। इससे सजग रुप में हम भले ही उससे जागरण के प्रति अनभिज्ञ रहें, पर अनावरण का वह क्रम अनवरत चलता रहता है। मनुष्य उर्जावान, तनावमुक्त, दूरदर्शी, विवेकशील होता है। उसकी समझ दूसरों की तुलना में अधिक होती है।

मस्तिक को शांत रखना –

दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है, और मन में उत्साह जागता है। यह उत्साह लोगों को अच्छे (सकारात्मक) कामों में लगाता है।

हल्दी का तिलक –

हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है। हल्दी में एंटी बेक्ट्रियल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है।

धार्मिक मान्यता –

धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तिलक लगाने से प्रतीकूल ग्रहों की शांति होती है।

कुमकुम की बिंदी –

लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है।बिंदी या कुमकुम महिलाओं शरीर की सजावट का एक मुख्य हिस्सा भी है, और इसके पीछे आध्यात्मिक आधार भी है, इसी लिए माथे पर लगाई जाने वाली बिंदी का सनातन हिंदू संस्कृति में बहुत महत्त्व है। भौहों के बीच स्थित माथे का यह स्थान महत्वपूर्ण तंत्रिका बिंदु होता है, जिसे आज्ञा चक्र कहते हैं। यह चक्र बुद्धिमत्ता मानसिक उथल-पुथल नियंत्रण का केन्द्र भी है, धारणा है कि इस चक्र पर कुमकुम की बिंदी शरीर की ऊर्जा को बरकरार रखती है। आज्ञा चक्र की स्थिति को ध्यान में रखकर, बिंदी/कुमकुम को सही तरीके से लगाया जाना चाहिए। वस्तुत: आज्ञा चक्र पर बिंदी का संबंध महिला के मन से जुड़ा हुआ है। क्योंकि एकाग्रता के केंद्र मन को एकाग्र बनाए रखने में कुमकुम की बिंदी कई तरीकों से मदद करती है। जैसे लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। बिंदी रूपी यह तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है।

ललाट पर टीका : –

ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है। लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं। इसीलिए सभी सुबह स्नान के बाद मस्तक पर तिलक अवश्य लगायें।

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