कलावा (मौली)

कलावा (मौली)

कलावा बांधने के पीछे छुपा हुआ है वैज्ञानिक रहस्य, जो कम लोग ही जानते होंगे, हमारे भारत देश में ऐसे बहुत से लोग है जो केवल भगवान् में बल्कि भगवान् के नाम से जुडी हर चीज़ में विश्वास रखते है ! जैसे कि कुछ लोग भगवान् की माला पहनते हैं, और कुछ लोग मौली (कलावा) बांधते हैं ! वैसे मौली तो हर जगह पूजा पाठ में प्रयोग में लायी जाती है ! जैसे कि यदि मंदिर में जाते है तो, पंडित जी सबसे पहले मौली ही बांधते हैं ! पर मौली क्यूँ बाँधी जाती है ? और इसके पीछे क्या कारण है ? ये शायद बहुत कम लोग जानते होंगे ! तो आईये हम आपको बताते हैं कि आखिर मौली के पीछे की श्रद्धा का राज़ क्या है ?

जैसे कि सब जानते हैं, कि हमारे हिन्दू धर्म में हर धार्मिक कार्यक्रम में कलावा बांधने का रिवाज़ या यू कहा जाये कि विधि विधान होता है! हम सभी जानते हैं कि, हमारे घर में जब भी कोई पूजा होती है तो, पुजारी जी सभी के हाथों की कलाई पर लाल रंग का धागा बांधते हैं ! जिसे कलावा कहते हैं! पर कलावा बांधने का भी एक विधान होता है.! इसे यूं ही जब मन करे तब नहीं बांधना चाहिए! आज हम आपको इससे जुड़े कुछ रहस्य बतायेंगे जो विज्ञान ने भी सच साबित किये हैं.! लेकिन हिंदू धर्म में कोई भी काम बिना वैज्ञानिक महत्त्व के नहीं होता ! इसलिए तो मौली का धागा भी कोई साधारण धागा नहीं होता !

यह कच्चे सूत से तैयार किया जाता है! यह कई रंगों जैसे, लाल, काला, पीला, या नारंगी रंगों में भी होता है.! कलावा को लोग हाथ, गले, बाजू और कमर पर बांधते हैं! कलावा बांधने से आपको भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है ! इसलिए इस धागे का ही बहुत महत्व है ! इतना ही नहीं इससे आप हमेशा बुरी दृष्टि से भी बचे रह सकते हैं ! यही नहीं, इसे हाथों में बांधने से स्वास्थ्य में भी बरकत होती है. !

इस धागे को कलाई पर बांधने से शरीर में वात, पित्त तथा कफ के दोष में सामंजस्य बैठता है ! माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है.! शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है, इसलिये इसे बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है ! अगर साधारण शब्दो में कहा जाये तो मौली भगवान् के किसी आशीर्वाद से कम नहीं समझी जाती !

कलावा बाँधने के भी अपने ही नियम होते हैं ! वैसे शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए! विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है ! कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों, उसकी मुठ्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए. ! पर्व के अलावा यानि त्यौहार के इलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है.!वैसे इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ये तो पक्का है कि कलावा बाँधने से हर बुराई से बचाव हो सकता है ! इसलिए कलावा बांधना आज भी बहुत शुभ माना जाता है !

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